शिव खेड़ा एक प्रेरक प्रवक्ता, उद्यमी और सफल लेखक हैं इन्होनें बहुत सी पुस्तकें लिखीं हैं जिनमें “You Can Win” एक International Bestseller बुक है. इस किताब में शिव खेड़ा नें अपनें जीवन अनुभव से प्राप्त ज्ञान को कहानियों तथा अन्य तरीकों से अपने पाठकों के सामनें रखा है. एक श्रेष्ठ जीवन तथा व्यक्तित्व के निर्माण के लिए सभी को इस पुस्तक को जरूर पढ़ना चाहिए.
यदि कोई इस book को ध्यान से पढ़े तो निश्चित ही उसकी life में positive changes आयेंगे और उसे अपनी ज़िन्दगी को सफल बनाने में बहुत मदद मिलेगी. तो आइये जानते हैं –
You Can Win / जीत आपकी की 35 थॉट प्रवोकिंग बातें
1: मुझे यकीन है कि जीत हासिल करनें वालों के मन में भी टालमटोल करनें कि इच्छा जरूर पैदा हुई होगी, पर उन्होंने उसे अपनें ऊपर कभी हावी होने नहीं दिया.
2: महान वायलिनवादक फ्रिट्ज क्रिस्लर एक संगीत समारोह में वायलन बजा रहे थे. उन्होंने वायलिन बजाना बंद किया, तो एक आदमी ने स्टेज पर आकर पूछा, “आपके जैसी वायलिन बजाने क़े लिए मैं पूरी ज़िंन्दगी लगा सकता हूँ.” क्रिस्लर ने जवाब दिया, ” मैं तो लगा चुका हूँ.”
3: अपने को बेहतर बनानें में इतना वक़्त लगाएं कि दूसरों कि आलोचना करनें के लिए समय ही ना बचे.
4: जीतने वाले अलग चीजें नहीं करते, वो चीजों को अलग तरह से करते हैं.
5: जब मैं थक जाता और थक कर रुक जाना चाहता, तो मुझे उत्सुकता होती थी कि मेरा प्रतिद्वंदी इस समय क्या कर रहा होगा. जब मैं सोच में देखता वह अब भी प्रैक्टिस कर रहा है तो मैं और मेहनत करता और जब मैं देखता वह थककर आराम कर रहा है तो मैं और भी कड़ी मेहनत करने लगता.
6: अगर लोगों को यह पता चल जाता कि इस कुशलता को प्राप्त करनें में मुझे कितनी मेहनत करनी पड़ी है तो उन्हें मेरा काम बिलकुल भी आशचर्यजनक न लगता.
7: vilma दुनिया की सबसे तेज धाविका जो डॉक्टर्स के मुताबिक चल भी नहीं सकती थी) सीखना चाहिए? इससे हमें शिक्षा मिलती है कि कामयाब लोग कठनाइओं के बावजूद सफलता हांसिल करते हैं, न कि तब, जब कठनाइओं नहीं होती.
8: जब हम अपनी हदों और सीमाओं को नहीं जानते, तो हम बड़े और ऊँचे काम करके खुद को ही आश्चर्यचकित कर देते हैं. पीछे मुड़ कर देखने पर हैरानी होती है कि क्या मेरी कोई सीमा भी थी. हम सिर्फ उन्हीं सीमाओं से बंधे है, जो हमनें अपने लिए खुद बनायीं है. शिक्षा को अपने ऊपर बंधन मत लगाने दें.
9: अनुशासन का पालन करें (Practice Discipline) आत्मअनुशासन हमारे आनंद को ख़त्म नहीं करता, बल्कि और भी बढ़ाता है. आपने देखा होगा कि अनेक लोग प्रतिभा और क्षमता कि बावजूद नाकामयाब हैं. वे मायूस होते हैं और यह बात उनके व्यव्हार, सेहत और रिश्तों पर असर डालती है. वे संतुष्ट नहीं होते और अपनी समस्याओं के लिए भाग्य को दोष देते रहते हैं. वे यह महसूस नहीं कर पाते कि उनकी कई समस्याएँ अनुशासन की कमी से पैदा हुई हैं.
10: अगर आप खुद के मान-सम्मान को महत्व देते हैं, तो गुणवान लोगों की संगति में रहें. ख़राब संगति रहने से तो अच्छा है कि आप अकेले ही रहें.
11: कुछ लोग बार-बार ये दलील देते हैं कि “मैं जब चाहूँ तब इन बुराईयों को छोड़ सकता हूँ.” पर वे ये महसूस नहीं करते कि इच्छाशक्ति के मुकाबले बुरे असर ज्यादा ताकतवर होते हैं.
12: खुद को सही आत्मसुझाव दें (Give yourself Positive Auto-suggestions) खुद को सही आत्मसुझाव देने की आदत बनाएँ. आत्मसुझाव हमारे अवचेतन मन को प्रभावित करके हमारी सोच के तरीके को बदलता है और हमारे व्यव्हार में हमारी सोच ही झलकती है. इस प्रकार आत्मसुझाव हमारी सोच के तरीके को प्रभावित करके हमारे व्यव्हार पर असर डालता है. एक तरह से ये आत्मविश्वास जगाने वाली भविष्यवाणियों का रूप ले लेता है. इस तरह के आत्मसुझावों के कुछ उदाहरण ये हैं –
- मैं इसे संभाल सकता हूँ
- मैं इसे कर सकता हूँ
- मैं हिसाब मैं अच्छा हूँ
- मेरी यादाश्त अच्छी है
13: बेईमानी की जीत से हार जाना कहीं अच्छा है.
14: लोहा आग में तपकर ही फौलाद बनता है.
15 : कथनी और करनी में समानता होनी चाहिए. अगर कोई कहता कुछ है, और करता कुछ है, तो आप उसका कैसे यकीन करेंगे.
16: चीन में बांस का एक ऐसा पेड़ होता है जिसे रोपने के बाद चार साल तक पानी और खाद देने के बावजूद उसमें अंकुर फूटने का कोई निशान भी नहीं दिखता. लेकिन पांचवे साल के दौरान बांस का पौधा सिर्फ छह सप्ताह में 90 फ़ीट तक बढ़ जाता है. सवाल यह उठता है बांस का यह पौधा सिर्फ छह सप्ताह में बढ़ा या इस काम में पांच साल लगे? जब उसमें बढ़ने वाले कोई लक्षण नहीं आ रहे थे, यदि उस समय इस पौधे को पानी और खाद नहीं दी जाती, तो क्या वह बढ़ पाता? बिलकुल नहीं
17: बुराई के जड़ ज़माने के लिए इतना काफी है कि अच्छे लोग कुछ न करें, और बुराई जड़ पकड़ लेगी.
18: व्यव्हार में चतुर होने का मतलब है है हम अपनें शब्दों का चुनाव समझदारी और होशियारी से करें, और जानें कि हम कितनी दूर तक जा सकते हैं. इसका मतलब यह जानना भी है कि क्या कहना है और क्या नहीं कहना है? व्यव्हार कुशलता कि बिना प्रतिभा हमेशा काम नहीं आ सकती.
19: गलती को दोहराना सबसे बड़ी गलती है.
20: बहस एक ऐसी चीज है जिसे जीता नहीं जा सकता, अगर हम जीतते हैं तो भी हारेंगे और अगर हारते हैं तो भी हारेंगे.
21: पूर्णतया कुशलता और समझदारी का मतलब है – छोटी- छोटी बातों और बहस में न उलझना.
22: वचनबद्धता का मतलब यह होता है कि वादा हर हाल में निभाया जायेगा, चाहे कुछ भी हो.
23: किसी को माफ़ तो कर दो, लेकिन उसका नाम मत भूलो.
24: जब किसी को शर्मिंदा होना पड़े, जब कोई दिल में दुःख लेकर जाये, जब किसी महान चीज को छोटा बना दिया जाये, जब किसी की कमजोरी हसीं का कारण बने, जब किसी चीज को मजेदार बनाने के लिए बेअदबी की जरूरत पड़े, जब एक बच्चे को रुला दिए जाये और जब हर कोई हसीं में शामिल न हो सके, तब वह एक घटिया जोक होता है.
25: सफल लोगों का राज यह है कि वे उन कामों को करने की आदत डाल लेतें हैं, जो असफल लोग करना नहीं चाहते.
26: एक व्यक्ति जब किसी विश्वास को बार-बार दोहराता है, तो यह उसके अवचेतन मन की गहराई में बैठ जाता है, और एक असलियत का रूप ले लेता है. बार-बार दोहराया गया झूठ सच मान लिए जाता है.
27: कुछ करने की कोशिश करके असफल हो जाने वाले लोग उन लोगों से लाख गुना बेहतर हैं, जो कुछ किए बिना सफल हो जाते हैं.
28: दुनिया की सबसे अच्छी और सबसे सुन्दर चीजों को न तो देखा और न ही छुआ ही जा सकता है. उन्हें दिल से महसूस किया जाना चाहिए.
29: मैं उस काम में असफल होना पसंद करूँगा, लो आखिर में सफल होगा, बजाये उस काम में सफल होने के जो आखिर में असफल होगा.
30: अधिकतर लोगों को वही मिलता है जिसकी उन्हें तलाश होती है.
31: अनियमित कड़ी मेहनत से कहीं बेहतर है नियमित रूप से की गई थोड़ी सी कोशिश, जो अनुशासन से आती है.
32: मैं जितनी कड़ी मेहनत करता हूँ, भाग्य क़े उतने ही करीब पहुँच जाता हूँ.
33: कोई आदमी अपने बारे में जो सोचता है, उसी से उसकी तक़दीर तय होती है, या उसके भाग्य क़े बारे में संकेत मिलता है.”
35: हर घर में अगर अनुशासन का पालन किया जाये, तो युवाओं द्वारा किए जाने वाले अपराधों में 95 प्रतिशत तक की कमी आ जाएगी.